Manmohan Singh Painting: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह का निधन हो गया.. पूरी दुनिया गहरा शोक व्यक्त कर रही है. उनके निधन पर दुनियाभर के नेताओं ने संवेदनाएं व्यक्त कीं हैं. डॉ मनमोहन सिंह ने अपने अर्थशास्त्र और राजनीतिक शास्त्र की बदौलत देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. जब वो प्रधानमंत्री थे तो वैश्विक मंचों पर भी उनकी जोरदार चर्चा होती रही. बराक ओबामा तो यह तक कह गए जब मनमोहन सिंह बोलते हैं तो पूरी दुनिया सुनती है. लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि एक और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भी मनमोहन के कायल थे. एक बार तो उन्होंने अपने हाथ से मनमोहन सिंह की पेंटिंग बनाई थी. आइए ये किस्सा भी याद कर लेते हैं.
दरअसल, वो साल 2014 का था. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी. अमेरिका के डलास स्थित जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी एंड म्यूजियम में बुश द्वारा बनाई गई 24 टॉप वर्ल्ड लीडर्स की पेंटिंग्स प्रदर्शित की गईं. इन पेंटिंग्स में मनमोहन सिंह की एक पेंटिंग भी शामिल थी. कम लोग यह भी जानते रहे कि जॉर्ज बुश कमाल की पेंटिंग करते थे. हालांकि उनके राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद उनकी यह कला दुनिया के सामने आई थी.
जॉर्ज बुश ने अपने कमाल के टैलेंट से उन नेताओं को कैनवास पर उतारा, जिनसे उन्होंने अपने कार्यकाल में नजदीकी से मुलाकात की थी. इस प्रदर्शनी में व्लादिमिर पुतिन, एंगेला मर्केल, परवेज मुशर्रफ, और दलाई लामा जैसे दुनिया के फेमस नेताओं की पेंटिंग्स भी थीं. एक पेंटिंग मनमोहन सिंह की भी थी. उनकी यह पेंटिंग, उनकी शांत और विचारशील छवि को दर्शाने वाली थी. यह सभी का ध्यान खींचने में कामयाब रही.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जॉर्ज बुश का पेंटिंग के प्रति रुझान उनके राष्ट्रपति पद से हटने के बाद शुरू हुआ. चर्चिल के 'पेंटिंग ऐज अ पासटाइम' निबंध से प्रेरणा लेकर उन्होंने इस कला को अपनाया. उनकी यह प्रदर्शनी उनके व्यक्तित्व के एक अनोखे पहलू को सामने लाई. बुश ने इसे अपनी खुद की अभिव्यक्ति का साधन माना. यह बात भी सही है कि उन्होंने मनमोहन सिंह को उनके कार्यकाल के दौरान एक ऐसे नेता के रूप में देखा, जिनकी सरलता और धैर्य ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक खास जगह बनाई.
वैसे भी मनमोहन सिंह और जॉर्ज बुश के बीच की दोस्ती उस दौर में चर्चा का विषय बनी रही. दोनों ने अपने-अपने कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा दी. अमेरिका-भारत परमाणु समझौता इन संबंधों की सफलता का बड़ा उदाहरण है.
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